Wild Animals Name in Hindi and English जंगली जंतुओं के नाम हिंदी और अंग्रेजी में

Wild Animals Name in Hindi and English 1)Lion लायन शेर, 2)Tiger टाइगर बाघ, 3)Elephant एलीफैंट हाथी 4)Bear बिअर भालू , 5)Wolf वोल्फ भेड़िया, 6) Jackal जैकाल सियार, 7)Deer डियर हिरण, 8)Fox फॉक्स लोमड़ी

नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप लोग, आप लोग से उम्मीद करता हूँ आप लोग बिल्कुल ठीक होंगे आपका हमारे इस लेख में हार्दिक स्वागत है, आज के इस लेख के मदद से हम आपको बताएंगे कि जंगल में पाये जाने वाले जंगली जंतुओं (Wild Animals) के नाम क्या है—

Table of Contents

Wild Animals Name in Hindi and English जंगली जंतुओं के नाम हिंदी और अंग्रेजी में

S.N.

Wild Animal Name in

English

Pronunction

Wild Animal Name in

Hindi


1

Lion

लायन

शेर

2

Tiger 

टाइगर 

बाघ

3

Elephant 

एलीफैंट

हाथी

4

Bear 

बिअर

भालू

5

Python / Boa 

पाइथन / बो

अजगर

6

Kangaroo 

कंगारू

कंगारू

7

Wolf 

वोल्फ

भेड़िया

8

Jackal 

जैकाल

सियार

9

Deer 

डियर

हिरण

10

Porcupine 

पार्क्यूपाइन

साही

11

Fox 

फॉक्स

लोमड़ी

12

Hyena 

हाइना

लकड़बग्घा

13

Jackal

जैकाल

सियार

14

App 

ऐप

लंगूर

15

Reindeer  Stag 

रेनडियर / स्टैग

बारहसिंघा

16

Panda

(पांडा) 

पांडा

17

Yak 

(याक) 

पहाड़ी भैंसा

18

Nilgai 

नीलगाय

नीलगाय

19

Hippopotamus 

हिप्पोपटेमस

दरियाई घोड़ा

20

Zebra 

जेब्रा

जेब्रा

21

Giraffe 

जिराफ

जिराफ

22

Panther

पैंथर

तेंदुआ

23

Mole 

मोल

छछूंदर

24

Rat 

रैट

चूहा

25

Cheetah 

चीताह

चीता

26

Leopard 

लेपोर्ड 

तेन्दुआ

27

Chimpanzee

चिंपैंजी

चिंपांजी

28

Gorilla 

गोरिल्ला

गोरिल्ला

29

Squirrel 

स्क्वरल

गिलहरी

30

Wild dogs 

वाइल्ड डॉग्स

जंगली कुत्ता

31

Wild Boar 

वाइल्ड बोर

जंगली सूअर

32

33

34

35

36

37

Wild Animal (जंगली जंतु ):-

जंगली जंतु उन जानवरों को कहा जाता है जो प्राकृतिक वातावरण में स्वतंत्र रूप से रहते हैं और मनुष्यों द्वारा पालतू नहीं बनाए गए होते। ये जानवर जंगलों, पहाड़ों, नदी क्षेत्रों, रेगिस्तानों, और अन्य प्राकृतिक आवासों में पाए जाते हैं। जंगली जंतु स्वभाव से स्वतंत्र होते हैं और अपनी आवश्यकताओं के लिए भोजन, पानी, और आवास की व्यवस्था खुद ही करते हैं।

कुछ प्रमुख उदाहरणों में बाघ, शेर, हाथी, हिरण, तेंदुआ, भालू, बंदर, और विभिन्न प्रकार के पक्षी शामिल हैं। ये जानवर मानव आबादी से दूर रहते हैं और अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए अपना जीवन व्यतीत करते हैं।

जंगली जंतु का संरक्षण और उनकी सुरक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि वे पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने और अवैध शिकार जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए विभिन्न कानून और संरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं।

Wild Animals Name in Hindi and English

Wild Animals Name

Top Wild Animals Name प्रमुख जंगली जंतुओं के नाम

1-शेर (Lion):-

शेर (Lion) एक प्रमुख जंगली जंतु है और इसे “जंगल का राजा” कहा जाता है। शेर का प्राकृतिक आवास मुख्य रूप से अफ्रीका और भारत में पाया जाता है। यह एक शक्तिशाली शिकारी और सामाजिक प्राणी है, जो अपनी पारिस्थितिकी तंत्र में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाता है। शेर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं:

शेर की विशेषताएँ:

1- भौतिक संरचना:

    • शेर के शरीर का आकार बड़ा और शक्तिशाली होता है। नर शेरों के गले और सिर के चारों ओर घनी और लंबी अयाल होती है, जो उन्हें अन्य प्राणियों से अलग पहचान देती है।
    • शेर का रंग पीले-भूरे से लेकर गहरे भूरे तक हो सकता है।

    2- आवास:

      • शेर खुले घास के मैदानों, सवाना, और अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये जंगलों में भी पाए जा सकते हैं, लेकिन यह अधिक सामान्य नहीं है।
      • भारत में शेर गिर राष्ट्रीय उद्यान, गुजरात में पाए जाते हैं।

      3-समूह व्यवहार:

        • शेर सामाजिक प्राणी होते हैं और “प्राइड” नामक समूहों में रहते हैं। एक प्राइड में कई मादाएं, उनके बच्चे, और कुछ नर शेर होते हैं।
        • मादाएं आमतौर पर शिकार करती हैं और अपने बच्चों की देखभाल करती हैं, जबकि नर शेर प्राइड की रक्षा करते हैं।

        4- शिकार और आहार:

          • शेर मुख्य रूप से बड़े शाकाहारी जानवरों का शिकार करते हैं, जैसे ज़ेब्रा, हिरण, जिराफ, और भैंस।
          • ये समूह में शिकार करते हैं, जिससे बड़े और तेज जानवरों का शिकार करना आसान हो जाता है।

          5- जीवन चक्र:

            • शेर की औसत उम्र 10 से 14 साल तक होती है, लेकिन संरक्षण क्षेत्र में वे 20 साल तक जीवित रह सकते हैं।
            • शेरनी एक समय में 2-4 शावकों को जन्म देती है, जिनकी देखभाल वह अपने प्राइड के अन्य मादाओं के साथ मिलकर करती है।
            पर्यावरण में शेर की भूमिका:

            1- शिकारी-शिकार का संतुलन:

              • शेर अपने पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष शिकारी के रूप में कार्य करते हैं। वे शिकारियों की संख्या को नियंत्रित करके पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं।

              2- बायोडायवर्सिटी का संरक्षण:

                • शेर अपने क्षेत्र में बायोडायवर्सिटी को बनाए रखने में मदद करते हैं। उनके शिकार करने के तरीके और सामाजिक संरचना पारिस्थितिकी तंत्र की समृद्धि को बनाए रखने में सहायक होती है।

                3-पर्यावरणीय स्वास्थ्य:

                  • शेर अन्य प्रजातियों की आबादी को नियंत्रित करते हैं, जिससे घास के मैदान और जंगलों में संतुलन बना रहता है।
                  शेर का संरक्षण:-

                  शेरों की संख्या में कमी आने के कारण उन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। उनके आवास की कमी, अवैध शिकार, और मानव-वन्यजीव संघर्ष उनके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। शेरों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य, और अंतरराष्ट्रीय संरक्षण प्रयास महत्वपूर्ण हैं।

                  शेर केवल एक जंगली जंतु नहीं है, बल्कि वह अपने पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसका संरक्षण पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और स्थिरता के लिए आवश्यक है।

                  2- बाघ (Tiger)

                  टाइगर (बाघ) दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली जंगली जंतुओं में से एक है। यह अपनी ताकत, गति और सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहाँ टाइगर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

                  1.वर्गीकरण (Classification):
                  • वैज्ञानिक नाम: Panthera tigris
                  • परिवार: Felidae (बिल्ली परिवार)
                  • जीनस: Panthera
                  2. आवास (Habitat):
                  • टाइगर मुख्य रूप से एशिया के घने जंगलों, घास के मैदानों, और दलदली इलाकों में पाए जाते हैं।
                  • वे भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, रूस, और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में रहते हैं।
                  • भारत में, टाइगर प्रमुख रूप से सुंदरबन, कान्हा, रणथंभौर, और कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यानों में पाए जाते हैं।
                  3. शारीरिक विशेषताएँ (Physical Characteristics):
                  • टाइगर का शरीर मजबूत और शक्तिशाली होता है। उनके फर का रंग नारंगी होता है, जिस पर काले धारीदार निशान होते हैं।
                  • टाइगर का वजन 90 से 300 किलोग्राम तक हो सकता है और यह 2.5 से 3 मीटर लंबा हो सकता है।
                  • उनके पंजे बड़े और नुकीले होते हैं, जिससे वे शिकार को पकड़ने और मारने में सक्षम होते हैं।
                  4. शिकार और भोजन (Hunting and Diet):
                  • टाइगर मांसाहारी होते हैं और मुख्य रूप से बड़े शिकारों का शिकार करते हैं, जैसे हिरण, जंगली सूअर, और गाय-बैल।
                  • वे अकेले शिकार करते हैं और रात के समय सक्रिय होते हैं।
                  • टाइगर अपनी गति, ताकत, और छलावरण का उपयोग करके शिकार पर हमला करते हैं।
                  5. व्यवहार (Behavior):
                  • टाइगर एकान्तप्रिय जानवर होते हैं और अपने क्षेत्र के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। एक टाइगर अपने क्षेत्र को मूत्र, खरोंच, और सूंघने के निशानों से चिन्हित करता है।
                  • मादा टाइगर आमतौर पर 3-4 शावकों को जन्म देती हैं और उन्हें शिकार करना सिखाती हैं।
                  6. संरक्षण स्थिति (Conservation Status):
                  • टाइगर की आबादी तेजी से घट रही है और इसे आईयूसीएन (IUCN) द्वारा संकटग्रस्त (Endangered) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
                  • अवैध शिकार, मानव-वन्यजीव संघर्ष, और आवास की हानि मुख्य कारण हैं जिनकी वजह से टाइगर की संख्या घट रही है।
                  • भारत में “प्रोजेक्ट टाइगर” जैसे संरक्षण प्रयासों ने टाइगर की आबादी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
                  7. महत्व (Importance):
                  • टाइगर पर्यावरण में शीर्ष शिकारी होते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
                  • टाइगर की उपस्थिति एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत होती है, क्योंकि वे खाद्य श्रृंखला में सबसे ऊपर होते हैं।
                  • सांस्कृतिक रूप से, टाइगर कई देशों में शक्ति, साहस, और श्रेष्ठता का प्रतीक माने जाते हैं।

                  टाइगर को बचाने के लिए हमें उनके आवासों का संरक्षण करना होगा, अवैध शिकार को रोकना होगा, और जागरूकता फैलानी होगी ताकि यह शानदार प्रजाति जीवित रह सके और फल-फूल सके।

                  3- हाथी (Elephant):-

                  हाथी एक बड़ा और शक्तिशाली जंगली जंतु है, जो अपने अनोखे शारीरिक बनावट और व्यवहार के कारण जाना जाता है। हाथी पर्यावरण के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहाँ हाथी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

                  शारीरिक विशेषताएँ:

                  1-आकार और वजन:

                    • हाथी दुनिया का सबसे बड़ा स्थलीय जंतु है। एक वयस्क हाथी का वजन 5,000 से 7,000 किलोग्राम तक हो सकता है और उसकी ऊँचाई 10 से 13 फीट तक होती है।

                    2- सूंड:

                      • हाथी की सूंड उसकी सबसे प्रमुख विशेषता है, जो उसकी नाक और ऊपरी होंठ का विस्तार होती है। सूंड का उपयोग भोजन उठाने, पानी पीने, सूँघने, और चीजों को पकड़ने के लिए किया जाता है।

                      3- दाँत (अत्यधिक विकसित) और दांत:

                        • हाथी के बड़े दाँत, जिन्हें “आइवरी टस्क” कहा जाता है, हाथी के लिए रक्षा, खुदाई और अन्य कार्यों में सहायक होते हैं।
                        • हाथी के दांत पूरे जीवनकाल में बढ़ते रहते हैं।

                        4 –कान:

                          • हाथी के बड़े कान उसे गर्मी से बचने में मदद करते हैं। कानों की सतह से अतिरिक्त गर्मी बाहर निकलती है, जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है।
                          प्रजातियाँ:

                          1-एशियाई हाथी:

                            • यह मुख्यतः भारत, श्रीलंका, नेपाल, और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में पाया जाता है। एशियाई हाथी के कान छोटे होते हैं और उसके सिर पर दो गुम्बद होते हैं।

                            2- अफ्रीकी हाथी:

                              • यह अफ्रीका के सवाना और जंगलों में पाया जाता है। अफ्रीकी हाथी के कान बड़े होते हैं और इसका आकार एशियाई हाथी से बड़ा होता है। अफ्रीकी हाथी की दो उप-प्रजातियाँ हैं: सवाना हाथी और जंगल हाथी।
                              पर्यावरण में भूमिका:

                              1-वनस्पति नियंत्रण:

                                • हाथी जंगलों और घास के मैदानों की वनस्पतियों को नियंत्रित करने में मदद करता है। वह बड़ी मात्रा में पौधों, पेड़ की शाखाओं, और छाल को खाता है, जिससे वनस्पति का संतुलन बना रहता है।

                                2- बीज फैलाव:

                                  • हाथी अपने भोजन के साथ बीजों को खाता है और फिर उन्हें विभिन्न स्थानों पर अपने मल के साथ फैलाता है। इससे बीजों का प्रसार होता है और नई वनस्पतियाँ उगती हैं।

                                  3- पानी के स्रोत बनाने में मदद:

                                    • हाथी सूखे क्षेत्रों में अपने दाँत और सूंड का उपयोग करके पानी के स्रोत खोजता और खोदता है, जिससे अन्य जंतु भी इसका उपयोग कर सकते हैं।

                                    4- पारिस्थितिकी तंत्र इंजीनियर:

                                      • हाथी “पारिस्थितिकी तंत्र इंजीनियर” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वह अपने वातावरण को आकार देने में मदद करता है। वह जंगलों की संरचना को बदलता है, नए रास्ते बनाता है, और पेड़ों की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
                                      संरक्षण:
                                      • हाथियों का शिकार उनके दाँतों के लिए किया जाता है, जिसे “आइवरी” कहा जाता है। इस शिकार के कारण हाथियों की आबादी में भारी गिरावट आई है, और वे अब खतरे में हैं।
                                      • अनेक संरक्षण प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें हाथियों के प्राकृतिक आवास की रक्षा, अवैध शिकार पर नियंत्रण, और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करना शामिल है।
                                      निष्कर्ष:-

                                      हाथी पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसे बचाने के लिए जागरूकता और संरक्षण की जरूरत है। यह जंतु न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

                                      Wild Animals ( जंगली जंतुओं ) का पर्यावरण के संतुलन में भूमिका:-

                                      जंगली जंतु पर्यावरण के संतुलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका अस्तित्व और उनके कार्य विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों को संतुलित रखने में सहायक होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख तरीके दिए गए हैं जिनसे जंगली जंतु पर्यावरण में संतुलन बनाए रखते हैं:

                                      1-शिकार और शिकारियों का संतुलन:
                                        • शिकारी (जैसे शेर, बाघ, भेड़िया) और उनके शिकार (जैसे हिरण, खरगोश) के बीच संतुलन बनाए रखने में जंगली जंतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर शिकारी कम हो जाएं, तो शिकार की आबादी बढ़ सकती है, जिससे उनके भोजन स्रोतों पर अत्यधिक दबाव पड़ सकता है।
                                        2-पौधों और वनस्पतियों का संरक्षण:
                                          • कुछ जंतु जैसे हिरण, हाथी, और गैंडों की चरने की आदतें वनस्पतियों का संतुलन बनाए रखती हैं। ये जंतु वनस्पतियों को नियंत्रित करके जंगलों और घास के मैदानों को संतुलित बनाए रखते हैं।
                                          3- परागण (Pollination):
                                            • मधुमक्खियाँ, तितलियाँ, चमगादड़ और कुछ पक्षी जैसे जीव परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके बिना, बहुत सारे पौधे फल और बीज नहीं बना पाएंगे, जिससे वनस्पतियों का संतुलन बिगड़ सकता है।
                                            4- बीज फैलाव (Seed Dispersal):
                                              • कुछ जंतु, जैसे पक्षी और स्तनधारी, बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैलाने में मदद करते हैं। इससे पौधों की प्रजातियों का प्रसार होता है और नई वनस्पतियाँ उगती हैं।
                                              5- पारिस्थितिक तंत्र की सफाई:
                                                • गिद्ध और अन्य मांसाहारी जंतु मृत जीवों को खाते हैं, जिससे रोग फैलने से बचता है और पारिस्थितिक तंत्र साफ रहता है।
                                                6- प्राकृतिक चयन और अनुकूलन:
                                                  • जंगली जंतु प्राकृतिक चयन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे केवल सबसे अनुकूलित और मजबूत प्रजातियाँ ही जीवित रह पाती हैं। यह प्रक्रिया पर्यावरण को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने में सहायक होती है।
                                                  7- कीट नियंत्रण:
                                                    • कुछ जंतु जैसे पक्षी, चमगादड़, और मांसाहारी कीट, कीटों की आबादी को नियंत्रित रखते हैं। यदि ये जंतु न हों, तो कीटों की आबादी बढ़ सकती है, जिससे कृषि और वनस्पतियों को नुकसान हो सकता है।

                                                    निष्कर्ष:-

                                                    जंगली जंतु Wild Animals पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में अति महत्वपूर्ण हैं। उनका संरक्षण और उनकी भूमिका की समझ हमें पर्यावरण के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और स्थिरता के लिए आवश्यक है। जब इन जंतुओं का प्राकृतिक आवास नष्ट होता है या उनकी संख्या में गिरावट आती है, तो पर्यावरणीय असंतुलन हो सकता है, जिससे पूरी पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकता है।

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