1)Clove क्लोव लौंग 2)Cumin seeds क्यूमिन सीड्स जीरा 3)Green Cardamom ग्रीन कार्डमम छोटी इलाइची 4)Bay Leaf बे लीफ तेज पत्ता Spices Names in Hindi and English मसालों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में
नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप लोग, आप लोग से उम्मीद करता हूँ आप लोग बिल्कुल ठीक होंगे आपका हमारे इस लेख में हार्दिक स्वागत है, आज के इस लेख के मदद से हम आपको बताएंगे कि हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले मसालों (Spices) के नाम क्या है जानेगें —

50 Spices Names in Hindi and English 50 मसालों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में
S.N. | Spices Names in English | Pronunction | Spices Names in Hindi |
1 | Clove | क्लोव | लौंग |
2 | coriander powder | कोरियनडर पाउडर | धनिया पाउडर |
3 | Cumin seeds | क्यूमिन सीड्स | जीरा |
4 | Garlic | गार्लिक | लहशुन |
5 | Green Cardamom | ग्रीन कार्डमम | छोटी इलाइची |
6 | Bay Leaf | बे लीफ | तेज पत्ता |
7 | Black Pepper | ब्लैक पीप | काली मिर्च |
8 | Capers | केपर्स | कचरा, करेर |
9 | Black sesame seeds | ब्लैक सेसम सीड्स | काली तील के बिज |
10 | Black Salt | ब्लैक साल्ट | काला नमक |
11 | Black cumin seeds | ब्लैक क्यूमिन सीड्स | काला जीरा |
12 | Black Cardamom | ब्लैक कार्डमम | काली इलाइची |
13 | Basil seeds | बेसिल सीड्स | तुलसी के बीज |
14 | Basil Leaves | बेसिल लीव्स | तुलसी की पत्तियां |
15 | Baking Soda | बेकिंग सोडा | बेकिंग सोडा |
16 | Asafoetida | एसफ़ोतिडा | हिंग |
17 | Arrowroot powder | एरोरूट पाउडर | अरारोट पाउडर |
18 | Almond | आलमंड | बादाम |
19 | Yeast | यीस्ट | खमीर |
20 | White sesame seeds | वाइट सेसम सीड्स | सफेद तिल |
21 | White Pepper | वाइट पीपर | सफ़ेद मिर्च |
22 | Turmeric powder | टर्मेरिक पाउडर | हल्दी पाउडर |
23 | Thyme | थाइम | अजवाईन के फूल |
24 | Tea leaf | टी लीफ | चाय पत्ती |
25 | Tarragon | टैरगान | नागदौना |
26 | |||
27 | Tamarind | टैमरीन्ड | इमली |
28 | Swertia | स्वेर्टिया | चिरायता |
29 | Star Anise | स्टार ऐनिस | चक्र फूल |
30 | schezwan pepper | सेजवान पीपर | सेजवान काली मिर्च |
31 | Salt | साल्ट | नमक |
32 | Sago | सैगो | सबुतदाना |
33 | Saffron | सैफ्रन | केसर |
34 | Rosemary | रोज़्मेरी | गुल मेहंदी |
35 | Rock salt | रॉक साल्ट | सेंधा नमक |
36 | Red chili | रेड चिल | लाल मिर्च |
37 | Poppy seeds | पॉपी सीड्स | खसखस |
38 | Pine nuts | पाइन नट्स | चिलगोजे |
39 | Paprika | पप्रीका | लाल शिमला मिर्च |
40 | Oregano | ओर्गेनो | अजवायन के पत्ते |
41 | Nutmeg | नट्मेग | जायफल |
42 | Niger | नाइजर | रामतिल |
43 | Nigella seeds | निगेल्ला सीड्स | कलौंजी |
44 | Mustard seeds | मस्टर्ड सीड्स | सरसों, राइ |
45 | Fenugreek seeds | फेनुग्रीक सीड्स | मेथी बीज |
46 | Mace | मेस | जावित्री |
47 | long pepper | लॉन्ग पीपर | पिपली |
48 | Licorice | लिकॉरिस | मुलेठी |
49 | Cinnamon stick | सिनेमन स्टिक | दालचीनी |
50 | Cubeb pepper | क्यूबेब पीपर | कबाबचीनी |
51 | Curry leaves | करी लीव्स | करी पत्ते |
52 | Flaxseed | फ्लैक्सीड | अलसी का बिज |
53 | Fennel seeds | फेंनेल सीड्स | सौंफ |

मसाला (Spices)
मसाला (Spices) एक प्रकार के खाने के उपयोग किए जाने वाले ख़ास पदार्थों का मिश्रण होता है, जिन्हें खाने के स्वाद में और रंग में सुधारने के लिए प्रयोग किया जाता है। मसाले (Spices) आमतौर पर जीरा, धनिया, हल्दी, मिर्च, लौंग, इलायची, अदरक, गर्लिक, धनिया पत्ती, ताजा पुदीना, तेल, और नमक जैसी भिन्न-भिन्न सामग्रियों का मिश्रण हो सकता है। भारत में मसालों (Spices) को बहुत अधिक इस्तेमाल किया जाता है ,यहाँ पर बिना मसालों (Spices) के खाना नहीं बनाया जाता है, भारत विश्व में मसालों (Spices) के लिए बहुत प्रसिद्ध है भारत विश्व का सबसे बड़ा मसलों का उत्पादक है।
मसालों (Spices) का प्रयोग भारतीय खाने के स्वाद को बेहतर बनाने के लिए बड़े ही प्रमुख होता है। वे विभिन्न प्रकार के करी, सब्जियां, दाल, पुलाव, चाय, चाट, और विभिन्न प्रकार के मिठाई आदि में उपयोग किए जाते हैं।
भारतीय रसोईघरों में मसालों (Spices) का उपयोग खासतर स्पाइसी और आरोग्यदायक गुणों के लिए किया जाता है, जो खाने के स्वाद में मिठास, तिखापन, और गरमा देते हैं। इसके अलावा, मसाले खाने के प्रदर्शन को भी बढ़ावा देते हैं और खाने को बनाने और परोसने की कला को भी सुंदर बनाते हैं।

1)- Clove ( लौंग ) Spices ( मसाला )

लौंग एक प्रकार की प्रमुख मसाला Spices होती है, जिसे वनस्पति जगत में “Syzygium aromaticum” के नाम से भी जाना जाता है। यह मसाला (Spices) उसके सूखे फूलों के रूप में प्राप्त किया जाता है और इसका गुणगुणाहट और स्वादिष्ट खुशबू में बदल जाता है। लौंग का प्रयोग विभिन्न भोजनों और मसालेदार व्यंजनों में खासकर भारतीय खाने में किया जाता है। यह खाने के स्वाद में मिलाने के लिए उपयोग होता है और विभिन्न तरीकों से खाने के बनाने में शामिल होता है, जैसे कि गरम मसाला (Spices) , चाय, और मिठाई। इसके अलावा, लौंग के औषधीय गुणों का भी उपयोग चिकित्सा में किया जाता है, जैसे कि तंतुमुखी, कफ, और आंखों के संबंधित समस्याओं के इलाज में।
Clove लौंग के फायदे:
लौंग (Clove) एक लोकप्रिय मसाला (Spices) है जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ के लिए भी किया जाता है। लौंग के कई फायदे हैं जो इसे हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी बनाते हैं:
- दर्द निवारक:
- लौंग में यूजेनॉल नामक तत्व होता है जो दर्द निवारक के रूप में कार्य करता है। इसका उपयोग दांत दर्द और मसूड़ों के दर्द में राहत पाने के लिए किया जाता है।
2.पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद:
- लौंग पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है और पेट की गैस, सूजन और अपच जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
3.प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है:
- लौंग में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
4.सर्दी और खांसी में राहत:
- लौंग का सेवन सर्दी और खांसी में राहत देता है। इसका उपयोग काढ़े और चाय में मिलाकर किया जा सकता है।
5.श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी:
- लौंग में मौजूद यूजेनॉल और एंटीबैक्टीरियल गुण श्वसन तंत्र को साफ रखते हैं और खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं से राहत दिलाते हैं।
6.दांत और मुंह की स्वच्छता:
- लौंग के तेल का उपयोग दांत और मसूड़ों की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। यह मुंह की दुर्गंध को भी दूर करने में सहायक होता है।
7.जोड़ों के दर्द में राहत:
- लौंग का तेल जोड़ो के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। इसे प्रभावित स्थान पर मालिश करने से लाभ होता है।
8.एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण:
- लौंग में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
9.त्वचा के लिए फायदेमंद:
- लौंग का तेल त्वचा की समस्याओं जैसे मुँहासे और फुंसियों के उपचार में भी उपयोगी होता है।
10.कैंसर रोधी गुण:
- कुछ अध्ययनों से पता चला है कि लौंग में मौजूद यौगिक कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में सक्षम होते हैं।
लौंग का उपयोग स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। अधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए इसे अपने आहार में शामिल करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
लौंग के खाने में सावधानियाँ:
लौंग एक आम मसाला है जिसका उपयोग विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है और इसे कई स्वास्थ्य लाभों के लिए भी जाना जाता है। हालांकि, इसके अत्यधिक सेवन या अनुचित उपयोग से कुछ संभावित नुकसान भी हो सकते हैं:
- पाचन समस्याएं: लौंग का अधिक सेवन गैस्ट्रिक म्यूकोसा को उत्तेजित कर सकता है, जिससे पेट में जलन, अपच, और गैस्ट्राइटिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- एलर्जी प्रतिक्रियाएं: कुछ लोगों को लौंग से एलर्जी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर चकत्ते, खुजली, या सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
- मुँह में जलन: लौंग के अत्यधिक सेवन से मुँह में जलन या छाले हो सकते हैं।
- रक्तस्राव का जोखिम: लौंग के तेल में यूजेनॉल होता है, जो रक्त को पतला करने का काम करता है। इसलिए, जिन लोगों को रक्तस्राव की समस्या है या जो खून पतला करने वाली दवाइयाँ ले रहे हैं, उन्हें लौंग का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
- दवाइयों के साथ परस्पर प्रभाव: लौंग के सक्रिय घटक कुछ दवाइयों के साथ परस्पर प्रभाव कर सकते हैं, जिससे उनकी प्रभावशीलता कम हो सकती है या दुष्प्रभाव बढ़ सकते हैं।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को लौंग का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए और किसी भी नए आहार परिवर्तन से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
- लीवर की समस्याएं: लंबे समय तक लौंग के तेल का सेवन करने से लीवर को नुकसान हो सकता है।
इन सभी संभावित नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, लौंग का सेवन संयमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।
2)- Cumin seeds ( जीरा )

जीरा, जिसे अंग्रेजी में “cumin” कहते हैं, एक प्रमुख मसाला (Spices) है जो भारतीय खाने के साथ-साथ विभिन्न भोजनों में उपयोग होता है। यह एक पौधा से प्राप्त किया जाता है और इसके बीज का प्रयोग भोजन और व्यंजनों में खासतर खासतर उपयोग होता है।
जीरा का प्रयोग भारतीय व्यंजनों, दाल, सब्जियों, चावल, और अन्य खाने के साथ-साथ आचार, चटनी, और मसाला बनाने में भी होता है। यह अपने विशेष गंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है और भारतीय खाने के बिना जीरा का इस्तेमाल अधूरा माना जाता है।
जीरा के बीजों में स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं, और इसका प्रयोग आयुर्वेदिक औषधियों में भी होता है, क्योंकि इसमें अनेक पोषक गुण होते हैं।
जीरा खाने से लाभ:
जीरा (क्यूमिन) एक महत्वपूर्ण मसाला (Spices) है जो भारतीय व्यंजनों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसमें कई पोषक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। यहाँ जीरा खाने के कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
- पाचन सुधार: जीरा पाचन को सुधारने में मदद करता है। इसमें थाइमोल होता है, जो पाचन एंजाइमों के उत्पादन को उत्तेजित करता है और अपच, गैस, और पेट फूलने जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना: जीरा में एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन ए और सी होते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं और संक्रमण से बचाते हैं।
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: जीरे में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह गुण गठिया और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान कर सकता है।
- वजन कम करने में मदद: जीरे का सेवन मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है और वजन घटाने में मदद करता है। यह शरीर में वसा के अवशोषण को नियंत्रित करता है।
- रक्त शर्करा नियंत्रण: जीरा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी है।
- त्वचा स्वास्थ्य: जीरे में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और उम्र बढ़ने के संकेतों को कम कर सकते हैं।
- एनीमिया की रोकथाम: जीरे में आयरन की अच्छी मात्रा होती है, जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन को बढ़ावा देता है और एनीमिया की रोकथाम में मदद करता है।
- स्मृति और मस्तिष्क स्वास्थ्य: जीरे में पाए जाने वाले पोषक तत्व मस्तिष्क के कार्य को सुधारने और स्मृति को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
- डिटॉक्सिफिकेशन: जीरा शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे लिवर और किडनी को साफ रखने में सहायता मिलती है।
जीरा का नियमित और संतुलित मात्रा में सेवन इन सभी लाभों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है। हालाँकि, किसी भी नई आहार योजना को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार होता है।
जीरा खाने से नुकसान:
जीरा, हालांकि कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, इसका अत्यधिक सेवन या अनुचित उपयोग कुछ नुकसानों का कारण बन सकता है। यहाँ जीरा खाने के कुछ संभावित नुकसान दिए गए हैं:
- पाचन समस्याएं: अत्यधिक जीरा का सेवन पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और पेट में जलन, एसिडिटी, और अपच जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है।
- रक्तस्राव का जोखिम: जीरा रक्त को पतला करने का काम करता है, जिससे रक्तस्राव का जोखिम बढ़ सकता है। विशेषकर, जो लोग खून पतला करने वाली दवाइयाँ ले रहे हैं या जिन्हें रक्तस्राव की समस्या है, उन्हें जीरे का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
- एलर्जी प्रतिक्रियाएं: कुछ लोगों को जीरे से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर चकत्ते, खुजली, सांस लेने में कठिनाई, और अन्य एलर्जी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं।
- गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को जीरे का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भाशय में संकुचन हो सकता है, जो गर्भावस्था में जोखिम भरा हो सकता है।
- रक्त शर्करा स्तर: जीरा रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है, इसलिए मधुमेह रोगियों को इसका सेवन नियंत्रित मात्रा में करना चाहिए और अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
- दवाइयों के साथ परस्पर प्रभाव: जीरा कुछ दवाइयों के साथ परस्पर प्रभाव कर सकता है, जिससे दवाइयों की प्रभावशीलता पर असर पड़ सकता है।
- हृदय गति पर प्रभाव: जीरे का अत्यधिक सेवन कुछ मामलों में हृदय गति को प्रभावित कर सकता है, जिससे दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है।
इन संभावित नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, जीरे का सेवन संयमित मात्रा में और संतुलित आहार के हिस्से के रूप में करना चाहिए। किसी भी नए आहार परिवर्तन या स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार होता है।
3)- Green Cardamom ( छोटी इलाइची )

“छोटी इलाइची” को अंग्रेजी में “Cardamom” कहा जाता है। यह एक प्रकार की प्रमुख मसाला Spices होती है जो आमतौर पर भारतीय रसोईघरों में उपयोग होती है। इसके दानों का स्वाद मिठा और गर्म होता है, और यह विभिन्न व्यंजनों में खासतर चाय और मिठाई में प्रयोग होती है।
छोटी इलाइची के प्रयोग से भारतीय खाने का स्वाद और भी बेहतर बनता है, और इसे अक्सर गरम मसालों के मिश्रण में भी शामिल किया जाता है। यह वनस्पति विज्ञान में भी औषधि के रूप में प्रयोग होती है, और इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे कि पाचन को सुधारना और स्नायुजनन को बढ़ावा देना।
छोटी इलाइची खाने के फायदे:
छोटी इलायची, जिसे आमतौर पर हरी इलायची भी कहा जाता है, एक सुगंधित मसाला है जो भारतीय और मध्य पूर्वी व्यंजनों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसमें कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यहाँ छोटी इलायची खाने के कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:
- पाचन सुधार: इलायची पाचन तंत्र को उत्तेजित करती है, जिससे अपच, गैस, और पेट फूलने जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। यह गैस्ट्रिक जूस के उत्पादन को बढ़ावा देती है और पेट की ऐंठन को कम करती है।
- मौखिक स्वास्थ्य: इलायची में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो मुँह की बदबू को दूर करने और मसूड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यह दांतों की सड़न को रोकने में भी सहायक है।
- सांस की समस्याओं में राहत: इलायची में कफ को पतला करने के गुण होते हैं, जिससे यह खांसी, ब्रोंकाइटिस, और अस्थमा जैसी सांस की समस्याओं में राहत प्रदान करती है। इसका सेवन गले की खराश और सर्दी में भी लाभकारी होता है।
- रक्तचाप को नियंत्रित करना: इलायची में पोटेशियम और मैग्नीशियम होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
- डिटॉक्सिफिकेशन: इलायची शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे लिवर और किडनी को साफ रखने में सहायता मिलती है।
- एंटीऑक्सिडेंट गुण: इलायची में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो शरीर में मुक्त कणों से लड़ने में मदद करते हैं और कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं। यह उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में भी सहायक है।
- मूड और मानसिक स्वास्थ्य: इलायची का सेवन मूड को सुधारने और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। इसकी सुगंध और स्वाद मानसिक शांति प्रदान कर सकते हैं।
- मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा: इलायची का सेवन मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है, जिससे वजन नियंत्रण में सहायता मिलती है।
- रक्त शर्करा नियंत्रण: इलायची रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है, जो मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी हो सकता है।
- सूजन को कम करना: इलायची में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
इन लाभों को प्राप्त करने के लिए छोटी इलायची को अपने आहार में शामिल करना फायदेमंद हो सकता है। इसे सीधे चबाया जा सकता है या चाय, करी, और मिठाई में मिलाया जा सकता है। हालांकि, किसी भी नई आहार योजना को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार होता है।
छोटी इलाइची खाने से नुकसान:
छोटी इलायची (हरी इलायची) का सेवन आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है, लेकिन अत्यधिक सेवन या कुछ विशेष परिस्थितियों में इसके कुछ संभावित नुकसान हो सकते हैं। यहाँ छोटी इलायची खाने से जुड़े कुछ संभावित नुकसान दिए गए हैं:
- एलर्जी प्रतिक्रियाएं: कुछ लोगों को इलायची से एलर्जी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर चकत्ते, खुजली, या सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। यदि आपको इलायची से एलर्जी है, तो इसका सेवन से बचना चाहिए।
- गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इलायची का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भाशय में संकुचन हो सकता है और स्तनपान के दौरान इसके प्रभाव के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं: अत्यधिक इलायची का सेवन कुछ लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि अपच, पेट में दर्द, और गैस।
- दवाइयों के साथ परस्पर प्रभाव: इलायची कुछ दवाइयों के साथ परस्पर प्रभाव कर सकती है। यदि आप किसी गंभीर बीमारी के लिए दवा ले रहे हैं, तो इलायची का सेवन शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
- गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स (GERD): इलायची का सेवन कुछ लोगों में गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स (GERD) के लक्षणों को बढ़ा सकता है, जिससे एसिडिटी और पेट में जलन हो सकती है।
- रक्तचाप पर प्रभाव: इलायची का अत्यधिक सेवन रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है। यदि आपका रक्तचाप असामान्य है, तो इलायची का सेवन सावधानीपूर्वक करें।
हालांकि, इन संभावित नुकसानों के बावजूद, अधिकांश लोग सामान्य आहार में छोटी मात्रा में इलायची का सेवन बिना किसी समस्या के कर सकते हैं। संतुलित और संयमित मात्रा में इलायची का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। किसी भी नए आहार परिवर्तन या स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार होता है।
4)- Black Pepper ( काली मिर्च )

काली मिर्च, जिसे अंग्रेजी में “Black Pepper” भी कहते हैं, एक प्रमुख मसाला Spices है जो खाद्य पकाने में उपयोग किया जाता है। यह मसाला जीरा, हल्दी, धनिया, आदि के साथ मिलकर खाने के स्वाद में मजबूती पैदा करने के लिए बहुत आमतौर पर प्रयोग होता है।
काली मिर्च की किसी भी खाद्य वस्तु में तीखा और गरम स्वाद पैदा करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, काली मिर्च का प्रयोग भारतीय और अन्य विभिन्न व्यंजनों, मसालों, सूपों, और सॉसेस में भी होता है। काली मिर्च के छोटे-छोटे ग्रैन्स (दाने) होते हैं जिन्हें प्रायः पिसा हुआ पाउडर के रूप में खाद्य पकाने में उपयोग किया जाता है। यह आमतौर पर नमक और अन्य मसालों के साथ मिलकर खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
काली मिर्च के गुणों के कारण यह बहुत ही पौष्टिक होती है और आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसे उच्च रक्तचाप को कम करने, पाचन को सुधारने, और खांसी और ठंडी में राहत प्रदान करने के लिए भी सुझाया जाता है।
काली मिर्च खाने के फायदे:
काली मिर्च, जिसे “किंग ऑफ स्पाइस” भी कहा जाता है, भारतीय रसोई में एक महत्वपूर्ण मसाला (Spices) है। इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण इसे औषधीय गुणों वाला भी माना जाता है। यहाँ काली मिर्च खाने के कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:
- पाचन सुधार: काली मिर्च पाचन तंत्र को उत्तेजित करती है और पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड के स्राव को बढ़ावा देती है, जिससे पाचन सुधारता है और अपच और गैस जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
- एंटीऑक्सिडेंट गुण: काली मिर्च में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और कोशिकाओं की क्षति को रोकते हैं।
- वजन घटाने में मदद: काली मिर्च का सेवन मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और वसा कोशिकाओं को तोड़ने में मदद करता है, जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।
- सर्दी और खांसी से राहत: काली मिर्च में प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो सर्दी, खांसी और अन्य श्वसन समस्याओं से राहत दिलाते हैं। यह कफ को पतला करने में भी मदद करती है।
- पोषक तत्वों का अवशोषण: काली मिर्च शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करती है, खासकर बी विटामिन और बीटा-कैरोटीन जैसे पोषक तत्वों के।
- त्वचा स्वास्थ्य: काली मिर्च में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा की समस्याओं जैसे कि मुँहासे और झाइयों को कम करने में मदद करते हैं। यह रक्त संचार को भी सुधारती है, जिससे त्वचा में निखार आता है।
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: काली मिर्च में पाइपरिन नामक यौगिक होता है, जो सूजन को कम करने में मदद करता है। यह गठिया और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान कर सकता है।
- मस्तिष्क स्वास्थ्य: काली मिर्च में पाइपरिन मस्तिष्क के कार्य को सुधारने और स्मृति को बढ़ाने में मदद करता है। यह न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों जैसे कि अल्जाइमर और पार्किंसन रोग के जोखिम को भी कम कर सकता है।
- डिटॉक्सिफिकेशन: काली मिर्च शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है और लिवर को साफ रखने में सहायता करती है।
- रक्तचाप को नियंत्रित करना: काली मिर्च का सेवन रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है।
काली मिर्च का सेवन अपने दैनिक आहार में शामिल करके इन सभी स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त किया जा सकता है। इसे विभिन्न व्यंजनों में मसाले के रूप में, चाय में मिलाकर, या सलाद और सूप में छिड़ककर उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, किसी भी नए आहार परिवर्तन को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार होता है।
काली मिर्च खाने से नुकसान:
काली मिर्च के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, लेकिन अत्यधिक सेवन या कुछ विशेष परिस्थितियों में इसके कुछ संभावित नुकसान भी हो सकते हैं। यहाँ काली मिर्च खाने से जुड़े कुछ संभावित नुकसान दिए गए हैं:
- पाचन समस्याएं: काली मिर्च का अत्यधिक सेवन पाचन तंत्र को उत्तेजित कर सकता है और इससे पेट में जलन, एसिडिटी, और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- अधिक गर्मी पैदा करना: काली मिर्च का अत्यधिक सेवन शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है, जिससे गर्मी से संबंधित समस्याएं जैसे कि पसीना आना, प्यास लगना और थकान हो सकती हैं।
- गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को काली मिर्च का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भाशय में संकुचन हो सकता है और स्तनपान के दौरान इसके प्रभाव के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं: काली मिर्च का अधिक सेवन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं जैसे कि पेट में दर्द, गैस, और दस्त का कारण बन सकता है।
- दवाइयों के साथ परस्पर प्रभाव: काली मिर्च कुछ दवाइयों के साथ परस्पर प्रभाव कर सकती है, खासकर दवाओं के अवशोषण को प्रभावित कर सकती है। यदि आप किसी गंभीर बीमारी के लिए दवा ले रहे हैं, तो काली मिर्च का सेवन शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
- श्वसन तंत्र पर प्रभाव: काली मिर्च का अत्यधिक सेवन या इसे सीधे सूंघने से श्वसन तंत्र में जलन हो सकती है, जिससे खांसी और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
- एलर्जी प्रतिक्रियाएं: कुछ लोगों को काली मिर्च से एलर्जी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर चकत्ते, खुजली, और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
इन संभावित नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, काली मिर्च का सेवन संयमित मात्रा में और संतुलित आहार के हिस्से के रूप में करना चाहिए। किसी भी नए आहार परिवर्तन को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार होता है।
5)- Basil Seeds ( तुलसी के बीज )

तुलसी के बीज को “तुलसी के बीज” या “Basil Seeds” कहा जाता है, एक प्रमुख मसाला (Spices) है इसका प्रयोग विभिन्न आयुर्वेदिक, घरेलू चिकित्सा, और धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है:
- पौराणिक और धार्मिक उद्देश्य: तुलसी के पौराणिक महत्व है और यह हिन्दू धर्म में मान्यता है कि तुलसी का पूजन और तुलसी के बीज के प्रयोग से आत्मा का उद्धारण होता है। तुलसी के बीज को माला बनाकर जपने का प्रयोग किया जाता है और इसे पूजा के समय भी उपयोग किया जाता है।
- आयुर्वेदिक चिकित्सा: तुलसी के बीज का आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी महत्वपूर्ण स्थान है। इसे तनाव, थकावट, और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। तुलसी के बीज का सेवन स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
- घरेलू उपयोग: तुलसी के बीज का प्रयोग कई घरेलू नुस्खों में किया जाता है, जैसे कि खांसी, जुकाम, गले के इन्फेक्शन, बुखार, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए।
- खाद्य में उपयोग: तुलसी के बीज को खाद्य में भी शामिल किया जा सकता है। इसका तेल और बीज का पाउडर खाने में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है।
तुलसी के बीज के औषधीय गुणों के कारण, यह विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोगी हो सकता है, लेकिन इसे सावधानी से और विशेषज्ञ की सलाह पर उपयोग करना सबसे अच्छा होता है।
तुलसी के बीज खाने के फायदे:
तुलसी के बीज, जिन्हें अक्सर “सब्जा सीड्स” या “फालूदा सीड्स” भी कहा जाता है, भारतीय चिकित्सा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन बीजों में कई पोषक तत्व और औषधीय गुण होते हैं। यहाँ तुलसी के बीज खाने के कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:
- पाचन सुधार: तुलसी के बीज पाचन तंत्र को सुधारते हैं। ये बीज पेट की समस्याओं जैसे अपच, कब्ज, और एसिडिटी से राहत दिलाते हैं। ये आंतों की सफाई में भी मदद करते हैं।
- वजन कम करने में मदद: तुलसी के बीज वजन घटाने में मदद करते हैं क्योंकि ये बीज फाइबर से भरपूर होते हैं और पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराते हैं। इससे भूख कम लगती है और कैलोरी का सेवन कम होता है।
- डिटॉक्सिफिकेशन: तुलसी के बीज शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जिससे लिवर और किडनी को साफ रखने में सहायता मिलती है।
- ब्लड शुगर नियंत्रण: तुलसी के बीज रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह मधुमेह रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है।
- हृदय स्वास्थ्य: तुलसी के बीज हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। ये कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करते हैं और रक्तचाप को संतुलित रखने में सहायता करते हैं।
- एंटीऑक्सिडेंट गुण: तुलसी के बीज में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और कोशिकाओं की क्षति को रोकते हैं।
- त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: तुलसी के बीज त्वचा और बालों के लिए भी लाभकारी होते हैं। ये त्वचा को हाइड्रेट रखते हैं और बालों की मजबूती को बढ़ाते हैं। ये त्वचा की जलन और सूजन को भी कम करते हैं।
- स्ट्रेस और चिंता में राहत: तुलसी के बीज में एडाप्टोजेनिक गुण होते हैं, जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं। ये मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करते हैं।
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: तुलसी के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। ये गुण गठिया और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान कर सकते हैं।
- हड्डियों की मजबूती: तुलसी के बीज में कैल्शियम और मैग्नीशियम होता है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण हैं।
तुलसी के बीजों का सेवन आमतौर पर पानी में भिगोकर किया जाता है, जिससे ये फूल जाते हैं और एक जेल जैसे रूप में आ जाते हैं। इन्हें शरबत, स्मूदी, या फालूदा जैसे पेय पदार्थों में मिलाया जा सकता है। किसी भी नए आहार परिवर्तन को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार होता है।
तुलसी के बीज खाने से नुकसान:
तुलसी के बीज (सब्जा सीड्स) के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन इनके अत्यधिक सेवन या कुछ विशेष परिस्थितियों में इनके सेवन से कुछ संभावित नुकसान भी हो सकते हैं। यहाँ तुलसी के बीज खाने से जुड़े कुछ संभावित नुकसान दिए गए हैं:
- पाचन समस्याएं: तुलसी के बीजों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिससे इनके अत्यधिक सेवन से पाचन समस्याएं जैसे गैस, अपच, और पेट में दर्द हो सकता है।
- एलर्जी प्रतिक्रियाएं: कुछ लोगों को तुलसी के बीजों से एलर्जी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर चकत्ते, खुजली, और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। यदि आपको तुलसी से एलर्जी है, तो तुलसी के बीजों का सेवन करने से पहले सावधानी बरतें।
- अत्यधिक ठंडक का प्रभाव: तुलसी के बीज शरीर में ठंडक पैदा करते हैं। जिन लोगों का शरीर स्वाभाविक रूप से ठंडा रहता है या जो ठंडी जलवायु में रहते हैं, उन्हें इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
- गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को तुलसी के बीजों का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन पर गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसके प्रभावों के बारे में पर्याप्त शोध नहीं है।
- ब्लड शुगर लेवल: तुलसी के बीज ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकते हैं। यदि आप मधुमेह के मरीज हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ ले रहे हैं, तो तुलसी के बीजों का सेवन शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
- खून पतला करने वाली दवाइयाँ: तुलसी के बीज खून को पतला करने वाले गुण रखते हैं, इसलिए यदि आप खून पतला करने वाली दवाइयाँ ले रहे हैं, तो तुलसी के बीजों का सेवन सावधानीपूर्वक करें।
- अत्यधिक सेवन: तुलसी के बीजों का अत्यधिक सेवन करने से पेट में भारीपन, उल्टी, और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इन संभावित नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, तुलसी के बीजों का सेवन संयमित मात्रा में और संतुलित आहार के हिस्से के रूप में करना चाहिए। किसी भी नए आहार परिवर्तन को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार होता है।
6)- Basil Leaves ( तुलसी की पत्तियां )

तुलसी की पत्तियां को “तुलसी के पत्ते” या “तुलसी के पत्तियां” कहा जाता हैं. तुलसी, जिसे ओसिमियम सैंक्टम (Ocimum sanctum) भी कहा जाता है, एक पौधा होता है जो भारत में पूजा और आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी पत्तियां हिन्दू धर्म में पूजनीय मानी जाती हैं और विभिन्न पूजा अवसरों पर उनका उपयोग किया जाता है, जैसे कि तुलसी के पूजन के दौरान और आरती में।
तुलसी की पत्तियों को आयुर्वेदिक औषधियों में भी उपयोग किया जाता है, क्योंकि इनमें कई पौष्टिक और औषधीय गुण होते हैं। तुलसी की पत्तियों का सेवन कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को दूर करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
इसके अलावा, तुलसी की पत्तियां धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ, भारतीय जड़ी-बूटियों के रूप में भी उपयोग होती हैं और विभिन्न प्रकार के औषधियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनती हैं।
तुलसी की पत्तियां खाने के फायदे:
तुलसी की पत्तियां खाने के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह पौधा आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसकी पत्तियों का सेवन विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। यहाँ तुलसी की पत्तियां खाने के कुछ प्रमुख फायदे हैं:
- प्राकृतिक एंटीबायोटिक: तुलसी की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं।
- विशेष रूप से सर्दी-जुकाम में लाभकारी: तुलसी की पत्तियां सर्दी, जुकाम, और खांसी में लाभकारी होती हैं। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं।
- हृदय स्वास्थ्य: तुलसी की पत्तियां हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन C हृदय रोगों को रोकने में सहायक हो सकते हैं।
- पाचन तंत्र को सुधार: तुलसी की पत्तियां पाचन को सुधारती हैं, खासकर अपच, गैस, और एसिडिटी की समस्याओं में लाभकारी होती हैं।
- स्ट्रेस से राहत: तुलसी की पत्तियों में एंटीस्ट्रेस प्रॉपर्टीज होती हैं, जो मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करती हैं।
- श्वास-नली संबंधी समस्याओं में लाभकारी: तुलसी की पत्तियां खांसी, जुकाम, और दमा जैसी श्वास-नली संबंधी समस्याओं में भी लाभकारी होती हैं।
- मुंह और दांतों के स्वास्थ्य: तुलसी की पत्तियां मुंह और दांतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती हैं। इनमें एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो मुंह की संक्रमणों से लड़ने में सहायक होते हैं।
- खून की शुद्धता: तुलसी की पत्तियों का सेवन खून की साफ़-सफाई करने में मदद करता है और रक्त संचार को बढ़ावा देता है।
- एंटी-एजिंग गुण: तुलसी की पत्तियां एंटी-एजिंग प्रॉपर्टीज भी रखती हैं, जो त्वचा को युवा और ग्लोइंग बनाए रखने में मदद करती हैं।
तुलसी की पत्तियों को सामान्यतः ताजगी से और ताजे पानी में सेवन किया जाता है, जैसे कि तुलसी चाय, काढ़ा, या सलाद में डालकर। इन फायदों को प्राप्त करने के लिए, तुलसी की पत्तियों का सेवन संयमित मात्रा में और संतुलित आहार के साथ करना चाहिए। किसी भी नए आहार परिवर्तन को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा अच्छा रहता है।
तुलसी की पत्तियां खाने से नुकसान:
तुलसी की पत्तियां खाने से न्यूनतम नुकसान होते हैं, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इनका सेवन असुरक्षित हो सकता है। यहाँ कुछ संभावित नुकसान दिए गए हैं:
- एलर्जी: कुछ लोगों को तुलसी की पत्तियों से एलर्जी हो सकती है। इसलिए यदि आपको तुलसी से एलर्जी होती है, तो तुलसी की पत्तियां खाने से बचना चाहिए।
- गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाएं: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को तुलसी की पत्तियां संयमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। बड़ी मात्रा में सेवन के बारे में अधिक शोध नहीं है।
- अत्यधिक सेवन: अधिक मात्रा में तुलसी की पत्तियां खाने से पेट में असमान्यता, उल्टी, या दस्त की समस्या हो सकती है। संयमित रूप से सेवन करना महत्वपूर्ण है।
- दवाओं के साथ संघटन: कुछ दवाओं के साथ तुलसी की पत्तियों का सेवन असुरक्षित हो सकता है। खासकर यदि आप रक्तचाप की दवाएं, एंटीकोग्युलेंट्स, या दिल की दवाएं ले रहे हैं, तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
- शिशुओं के लिए: छोटे बच्चों को तुलसी की पत्तियां देने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
सामान्यतः, तुलसी की पत्तियां सेहत के लिए फायदेमंद होती हैं लेकिन समय-समय पर सेवन की मात्रा और संयम का पालन करना अहम होता है। किसी भी नए आहार परिवर्तन को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना उचित होता है।
7)- Asafoetida ( हिंग )

हिंग (Hing) एक प्रकार का पौधा है, एक प्रमुख मसाला (Spices) है जिसका वाणस्पतिक नाम Ferula asafoetida है, हिंग, जिसे अंग्रेजी में “Asafoetida” कहा जाता है, एक प्रकार का सुगंधित पौधा होता है जिसका जड़ और रेजिन का प्रयोग खाने के रसों में फ्लेवर और खुशबू बढ़ाने के लिए किया जाता है। हिंग का प्रयोग भारतीय रसोई खाने के स्वाद में विशेष रूप से होता है, और यह आमतौर पर तड़के, चटनी, दाल, और विभिन्न प्रकार के सब्जियों में डाला जाता है। हिंग का प्रयोग उसकी विशेष खुशबू के लिए भी किया जाता है, और यह बिना किसी आवश्यकता के खाने के स्वाद को बढ़ाने में मदद करता है। और इसका प्रयोग भारतीय खाद्य पक्षियों में मसाला (Spices) के रूप में किया जाता है। हिंग को देहारी (asafoetida) भी कहा जाता है। यह पौधा भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ हिस्सों में पाया जाता है, और इसकी रेजिन को सुखाकर चूर्ण बनाया जाता है, जिसे खाने के आदान-प्रदान में उपयोग किया जाता है।
हिंग का प्रयोग भारतीय व्यंजनों में स्वाद और खुशबू बढ़ाने के लिए किया जाता है, और यह आमतौर पर दाल, सब्जियों, और चटनियों में डाला जाता है। हिंग को ताड़कने पर यह खुशबू छोड़ता है जो कई व्यंजनों का विशेष पहचान बनाता है। इसके अलावा, हिंग के औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है, और यह पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है।
यह एक महत्वपूर्ण मसाला (Spices) है और भारतीय रसोई में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसका प्रयोग अन्य देशों के भी कुछ व्यंजनों में भी किया जाता है।
हिंग खाने के फायदे:
हिंग (Asafoetida) एक प्राचीन भारतीय मसाला (Spices) है जिसे विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे:
- पाचन को सुधारना: हिंग में पाचन को सुधारने और अवसाद को कम करने की गुणवत्ता होती है। यह अपाचन, गैस और कब्ज को दूर करने में मदद कर सकता है।
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: हिंग में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन और सूजन में राहत मिलती है।
- श्वासन तंत्र की सुरक्षा: हिंग श्वासन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती है और श्वासन की समस्याओं को कम कर सकती है।
- खांसी और सर्दी में लाभ: इसे गर्म पानी में मिलाकर खांसी और सर्दी में लाभ हो सकता है।
- ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना: हिंग में ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की क्षमता भी होती है।
- एंटी-ऑक्सीडेंट्स के स्रोत: इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं।
- दांतों की स्वच्छता: इसका उपयोग दांतों की स्वच्छता बनाए रखने में भी किया जा सकता है।
यदि आप हिंग का उपयोग करना चाहते हैं, तो यह अच्छा होगा कि आप इसे मात्रभाषी तौर पर और सावधानी से उपयोग करें, विशेष रूप से अगर आपको किसी भी प्रकार की धातु या अन्य एलर्जी है।
हिंग खाने से नुकसान:
हिंग का सेवन करने से कुछ लोगों को कुछ समस्याएं हो सकती हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- अलर्जी: कुछ लोगों को हिंग से एलर्जी हो सकती है। इसलिए, अगर आपने पहले कभी हिंग का सेवन नहीं किया है तो ध्यान दें।
- पेट में असहनीय दर्द या गैस: कुछ लोगों को हिंग से उच्च पेट में दर्द या गैस की समस्या हो सकती है। यह उन लोगों के लिए विशेषता से सताएँगे जिन्हें पेट की समस्याएं या अपाचन संबंधी समस्याएं होती हैं।
- प्रेगनेंसी के दौरान असुरक्षा: प्रेगनेंसी के दौरान हिंग का अधिक सेवन असुरक्षित हो सकता है। यदि आप गर्भवती हैं तो डॉक्टर से परामर्श करें और सेफ अमाउंट में ही इसका सेवन करें।
- वायरल इंफेक्शन: कई बार हिंग में मिलावट हो सकती है, जिससे इसमें वायरल इंफेक्शन का खतरा होता है। ऐसे मामलों में इसका सेवन न करें।
- दवाओं के साथ संयुक्त सेवन: कुछ दवाओं के साथ हिंग का सेवन न करें, क्योंकि यह दवाओं के प्रभाव को प्रभावित कर सकता है। अगर आप किसी विशेष दवा का सेवन कर रहे हैं, तो पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
अगर आपको इन समस्याओं में से कोई भी हो तो हिंग का सेवन न करें और अपने चिकित्सक से सलाह लें। सावधानी बरतने पर हिंग आपके लिए बहुत ही उपयुक्त और स्वास्थ्यकर हो सकती है।
8)- Turmeric powder ( हल्दी पाउडर )

हल्दी पाउडर को हिंदी में “हल्दी का चूर्ण” भी कहा जाता है जो एक प्रमुख मसाला (Spices) है। यह पाउडर हल्दी (तुर्मेरिक) पौधों के रिझोम से बनाया जाता है और रंग, स्वाद, और गंध के लिए प्रसिद्ध है। हल्दी पाउडर कई विभिन्न व्यंजनों में उपयोग होता है, और यह खाने के साथ-साथ विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों और सौंदर्य उत्पादों में भी उपयोग किया जाता है।
हल्दी पाउडर का प्रमुख उपयोग खाने के स्वाद में और खासकर भारतीय व्यंजनों में होता है, जैसे कि हल्दी की सब्जियां, हल्दी की दाल, और हल्दी वाला दूध (हल्दी वाला दूध या हल्दी का दूध)। हल्दी को उपयोग करने के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं, जैसे कि इसके प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी, और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं।
इसके अलावा, हल्दी पाउडर को सौंदर्य देखभाल में भी उपयोग किया जाता है, जैसे कि त्वचा की देखभाल और चेहरे की रंगत को सुधारने के लिए मास्क्स और फेस पैक्स में।
ध्यान दें कि हल्दी का पाउडर अधिक मात्रा में उपयोग करने से त्वचा पर कई लोगों को एलर्जी हो सकती है, इसलिए इसका सावधानीपूर्ण उपयोग करना महत्वपूर्ण है। आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग करने से पहले भी एक विशेषज्ञ या चिकित्सक से सलाह लेना सुरक्षित हो सकता है।
हल्दी पाउडर खाने के फायदे:
हल्दी पाउडर एक प्राचीन भारतीय मसाला है जिसे खाने में और विभिन्न चिकित्सा उपयोगों में लाभकारी माना जाता है। यहाँ कुछ मुख्य फायदे हैं जिन्हें हल्दी पाउडर के सेवन से प्राप्त किया जा सकता है:
- प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: हल्दी में ‘कर्कुमिन’ नामक एक गुण होता है, जो शरीर में इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद कर सकता है। यह गुण विभिन्न रोगों जैसे कि आर्थराइटिस और अन्य शारीरिक दर्द में भी लाभकारी हो सकता है।
- पाचन और अपचन को सुधारना: हल्दी पाचन को बढ़ाने में मदद कर सकती है और अपचन, गैस और एसिडिटी को कम करने में सहायक हो सकती है।
- प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुण: हल्दी के एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, इसका इस्तेमाल कई स्थानीय रोगों के इलाज में किया जाता है।
- विषाक्तता को कम करना: हल्दी शरीर की विषाक्तता को कम करने में मदद कर सकती है और शरीर को साफ रखने में सहायक हो सकती है।
- एंटीऑक्सीडेंट्स के स्रोत: हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को रेडिकल्स से बचाने में मदद कर सकते हैं और सामान्य स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।
- हृदय स्वास्थ्य: हल्दी का सेवन हृदय की सेहत को भी बेहतर बना सकता है, क्योंकि इसके अंतर्गत अन्य स्वास्थ्य लाभों के साथ हृदय की रक्त संचारित क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
हल्दी पाउडर को स्वस्थ तरीके से और संबंधित दिशा से उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक प्राकृतिक औषधि होने के साथ-साथ भारतीय खाद्य में रंग और स्वाद भी बढ़ाती है।
हल्दी पाउडर खाने से नुकसान:
हल्दी पाउडर का सेवन सामान्यतः सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ लोगों को इसका उपयोग करने से कुछ समस्याएं हो सकती हैं। निम्नलिखित हल्दी पाउडर के संभावित नुकसान हो सकते हैं:
- एलर्जी: कुछ लोगों को हल्दी से एलर्जी हो सकती है। यदि आपने पहले कभी हल्दी का सेवन नहीं किया है और आपको त्वचा रेशे, चुभन, चकत्ते या अन्य एलर्जिक प्रतिक्रियाएँ होती हैं, तो हल्दी का सेवन न करें।
- पेट की समस्याएं: कुछ लोगों को हल्दी पाउडर का सेवन करने से पेट में उच्चतम गैस, अपचन, या पेट दर्द की समस्या हो सकती है। ऐसे मामलों में हल्दी का सेवन कम करें या इससे बचें।
- गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं को बड़ी मात्रा में हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके बहुत अधिक मात्रा में सेवन से गर्भावस्था पर असर पड़ सकता है।
- ब्लीडिंग रोग: हल्दी का अधिक सेवन करने से रक्त के थक्के को प्रभावित कर सकता है, इसलिए ऐसे व्यक्तियों को ध्यान देना चाहिए जिन्हें रक्तनालिका से संबंधित समस्याएं हों।
- दवाओं के साथ संयुक्त सेवन: कुछ दवाओं के साथ हल्दी का सेवन करने से इनकी प्रभावितता बढ़ सकती है। यदि आप किसी विशेष दवा का सेवन कर रहे हैं, तो पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
इन बातों का ध्यान रखकर और संबंधित दिशा से हल्दी पाउडर का सेवन करने से नुकसान से बचा जा सकता है। हालांकि, यदि आपको किसी निर्देशन के बारे में शक हो तो सबसे अच्छा होगा कि आप अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
9)- Fennel seeds ( सौंफ )

सौंफ एक पौधा है जो एक प्रमुख मसाला (Spices) है जिसके बीजों का उपयोग खाने में, मसालों में, और औषधि के रूप में किया जाता है। सौंफ के बीज खाने में स्वादिष्टता और आरोग्यकारी गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं। यह भारतीय खाने का हिस्सा भी है और अनेक व्यंजनों में उपयोग होता है, जैसे कि मुर्गा बिरयानी, पुलाव, और चटनियों में।
सौंफ का उपयोग भी औषधिक द्रव्य के रूप में किया जाता है, जैसे कि पेट के विकारों को दूर करने के लिए और सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए। यह पाचन को सुधारने, गैस की समस्या को दूर करने, और सुबह की गंदगी को दूर करने के लिए भी प्रयोग में आता है।
इसके अलावा, सौंफ का बीज मुँह की बदबू को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल होता है, इसके लिए लोग इसे मुँह में रखते हैं या इससे मुँह को धोते हैं।
सौंफ खाने के फायदे:
सौंफ (Fennel) एक पौधा है जिसके बीजों का उपयोग खाद्य और औषधि रूप से किया जाता है। इसके बीजों को फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इसमें कई पोषक तत्व और स्वास्थ्य लाभकारी गुण होते हैं। यहाँ सौंफ खाने के कुछ मुख्य फायदे हैं:
- पाचन सुधारना: सौंफ में पाचन को सुधारने और अपचन समस्याओं को कम करने की क्षमता होती है। यह पेट में गैस और एसिडिटी को भी दूर करने में मदद कर सकता है।
- मुँह की सूजन और गले के इंफेक्शन में लाभकारी: सौंफ में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुँह की सूजन और गले के इंफेक्शन में राहत प्रदान कर सकते हैं।
- श्वासन तंत्र की स्वस्थता: सौंफ का सेवन श्वासन तंत्र की स्वस्थता को बनाए रखने में मदद कर सकता है। यह खांसी और सर्दी में भी लाभकारी होता है।
- हृदय स्वास्थ्य: सौंफ में मौजूद फाइबर और पोटैशियम हृदय के लिए फायदेमंद होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
- अंटीऑक्सीडेंट्स के स्रोत: सौंफ में अंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं और रोगों से लड़ने में सहायक हो सकते हैं।
- हार्मोनल संतुलन को सुधारना: सौंफ का सेवन हार्मोनल संतुलन को सुधार सकता है और मासिक धर्म के समय अनियमितताओं को कम कर सकता है।
सौंफ एक सामान्यत: सुरक्षित और प्राकृतिक उपाय है, लेकिन यदि आपको किसी विशेष समस्या हो या आपकी स्थिति के अनुसार इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना हमेशा उचित होता है।
सौंफ खाने से नुकसान:
सौंफ का सेवन सामान्यतः सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए इसके कुछ नुकसान या दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यहाँ सौंफ खाने से संभावित नुकसान या सावधानियाँ दी गई हैं:
- एलर्जी: कुछ लोगों को सौंफ से एलर्जी हो सकती है। एलर्जी के लक्षणों में त्वचा पर रैश, खुजली, सूजन, और साँस लेने में कठिनाई शामिल हो सकते हैं।
- हार्मोनल प्रभाव: सौंफ में फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं जो हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, हार्मोन-संवेदनशील स्थितियों (जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर, यूटेरिन कैंसर) में सौंफ का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
- प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग: गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सौंफ का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि इसके हार्मोनल प्रभाव बच्चे पर भी प्रभाव डाल सकते हैं।
- ब्लड क्लॉटिंग: सौंफ में मौजूद कुछ घटक रक्त को पतला कर सकते हैं। इसलिए, जिन लोगों को रक्तस्राव या रक्त क्लॉटिंग की समस्याएं हैं, उन्हें सौंफ का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।
- मेडिकेशन इंटरैक्शन: सौंफ कुछ दवाओं के साथ इंटरैक्ट कर सकती है, जैसे कि एंटीबायोटिक्स, एंटीकोआगुलेंट्स और एंटीसेप्टिक दवाएँ। यदि आप किसी विशेष दवा का सेवन कर रहे हैं, तो सौंफ का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
- अपच और गैस: कुछ लोगों को सौंफ का अधिक सेवन करने से अपच, पेट दर्द या गैस की समस्या हो सकती है।
हालांकि सौंफ में कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में और व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार करना हमेशा बेहतर होता है। यदि आपको किसी भी प्रकार की परेशानी होती है तो इसका सेवन बंद कर दें और चिकित्सक से परामर्श लें।
10)- Mace ( जावित्री )

“जावित्री” को अंग्रेजी में “Nutmeg” कहा जाता है, और यह एक एक प्रमुख मसाला (Spices) है है जो खाने के स्वाद में आरोग्यकर और खासतर दारचीनी और कार्डममम के साथ मिलाकर प्रयोग की जाती है। जावित्री का प्रयोग खाने के स्वाद में, बेकरी और खासतर देसी मिठाइयों और गरम मसालों के तैयारी में होता है।
इसके साथ ही, जावित्री के तेल का भी प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। यह तेल सौंदर्य उत्पादों में भी प्रयुक्त होता है और चर्म की देखभाल के लिए उपयोगी होता है।
जावित्री की दो प्रमुख प्रकार होते हैं – पूर्ण जावित्री (Whole Nutmeg) और जावित्री के दाने (Nutmeg Seeds)। पूर्ण जावित्री को अकेले ही प्रयोग में डाला जा सकता है, जबकि जावित्री के दाने को उसकी हल्की ग्रेटिंग या पीसकर प्रयोग किया जाता है।
जावित्री का उपयोग खाने के स्वाद में और आयुर्वेदिक चिकित्सा में स्थानीय और विश्वव्यापी रूप से किया जाता है, और यह विभिन्न कल्चर्स और रसोई विद्यालयों में भी सिखाया जाता है।
जावित्री खाने के फायदे:
जावित्री (Mace) एक मसाला है जो जायफल के बीज की बाहरी परत से प्राप्त होता है। इसका उपयोग भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यंजनों में स्वाद और खुशबू बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- पाचन में सुधार: जावित्री पाचन तंत्र को सुधारने में मदद कर सकती है। यह अपच, गैस, और कब्ज को कम करने में सहायक होती है।
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: जावित्री में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह गठिया और अन्य सूजन संबंधित समस्याओं में लाभकारी हो सकती है।
- एंटीऑक्सीडेंट्स का स्रोत: जावित्री में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से बचाने में मदद करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य: जावित्री मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकती है। यह तनाव और अवसाद को कम करने में सहायक हो सकती है और मानसिक सतर्कता को बढ़ा सकती है।
- रक्त संचार में सुधार: जावित्री का सेवन रक्त संचार को सुधारने में मदद करता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों को पोषण और ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर होती है।
- एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण: जावित्री में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
- सांस की समस्याओं में राहत: जावित्री का उपयोग सांस की समस्याओं, जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस, में राहत प्रदान कर सकता है।
- दर्द निवारक: जावित्री का सेवन सिरदर्द और अन्य प्रकार के दर्द में राहत प्रदान कर सकता है।
जावित्री का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि चाय, सूप, स्ट्यू, और मिठाइयों में। इसे सावधानीपूर्वक और संतुलित मात्रा में उपयोग करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अत्यधिक सेवन से कुछ समस्याएं हो सकती हैं।
नोट: जावित्री का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें, विशेषकर अगर आप गर्भवती हैं, स्तनपान करा रही हैं, या किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं।
जावित्री खाने से नुकसान:
जावित्री (Mace) का सेवन सामान्यतया सुरक्षित होता है, लेकिन अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यहाँ जावित्री खाने से होने वाले संभावित नुकसान और सावधानियाँ दी गई हैं:
- हैलुसीनेशंस और मतिभ्रम: जावित्री में मिरिस्टिसिन (myristicin) नामक एक यौगिक होता है, जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर हैलुसीनेशंस, मतिभ्रम और मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकता है।
- अपच और गैस: अधिक मात्रा में जावित्री का सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएँ जैसे कि अपच, गैस, और पेट दर्द हो सकते हैं।
- एलर्जी: कुछ लोगों को जावित्री से एलर्जी हो सकती है। अगर आपको खुजली, रैश, साँस लेने में कठिनाई, या अन्य एलर्जिक प्रतिक्रियाएँ होती हैं, तो इसका सेवन तुरंत बंद कर दें और चिकित्सक से संपर्क करें।
- गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को जावित्री का सेवन सीमित मात्रा में और चिकित्सक की सलाह के अनुसार करना चाहिए, क्योंकि इसके कुछ तत्व गर्भाशय संकुचन और अन्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
- मेडिकेशन इंटरैक्शन: जावित्री का सेवन कुछ दवाओं के साथ इंटरैक्ट कर सकता है। यदि आप किसी विशेष दवा का सेवन कर रहे हैं, तो जावित्री का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
- ब्लड प्रेशर: जावित्री का अत्यधिक सेवन रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है, इसलिए उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों को इसका सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
- लिवर और किडनी पर प्रभाव: जावित्री का अधिक मात्रा में सेवन लिवर और किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी पहले से लिवर या किडनी संबंधी समस्याएँ हैं।
जावित्री का सेवन सीमित मात्रा में और संतुलित आहार के हिस्से के रूप में करना महत्वपूर्ण है। अत्यधिक सेवन से बचें और किसी भी संभावित दुष्प्रभाव की स्थिति में तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें। अगर आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है या आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो जावित्री का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है।
इन्हें भी पढ़े आपको जरुर पसन्द आयेगा –
Fruits Name in English and Hindi ( फलों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में )
Counting Number in Hindi and English with Roman ( गिनती के नम्बर हिंदी अंग्रेजी और रोमन में )
Stationery Item Name in Hindi and English (लेखन सामग्री के नाम हिंदी और अंग्रेजी में)
Wild Animals Name in Hindi and English ( जंगली जंतुओं के नाम हिंदी और अंग्रेजी में )
Carnivorous Animals Name in Hindi and English ( मांसाहारी जंतुओं के नाम हिंदी और अंग्रेजी में )
Omnivores Animals name in Hindi and English (सर्वाहारी जन्तुओं के नाम हिन्दी और अंग्रेजी में)
Herbivorous Animals Name in Hindi and English ( शाकाहारी जन्तुओं के नाम हिंदी और अंग्रेजी में )
Domestic Pets Animals Name in Hindi and English ( पालतू जानवरों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में )
Types of Fish Name in Hindi and English ( मछलियों के प्रकार के नाम हिंदी और अंग्रजी में )
बुखार ठीक करने के घरेलू नुकसा और देशी दवा
सर्दी-जुकाम ठीक करने की घरेलू नुकसा और आयुर्वेदिक दवा
MAY YOU LIKE: