Domestic Pets Animals Name in Hindi and English पालतू जानवरों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में

Domestic Pets Animal name in Hindi and English 1)-Cow काऊ गाय, 2)-Dog डॉग कुत्ता, 3)-Cat कैट बिल्ली, 4)-Hen हेन मुर्गी, 5)-Cock कॉक मुर्गा, 6)-Horse हॉर्स घोड़ा

नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप लोग, आप लोग से उम्मीद करता हूँ आप लोग बिल्कुल ठीक होंगे आपका हमारे इस लेख में हार्दिक स्वागत है, आज के इस लेख के मदद से हम सीखेगें  कि  पालतू जानवरों Domestic or Pets Animals के नाम हिंदी और अंग्रेजी में क्या है—

Table of Contents

Domestic Pets Animals Name in Hindi and English पालतू जानवरों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में

S.N.

Animals Name in English

Pronunction

Animals Name in Hindi

1

Cow 

काऊ

गाय

2

Dog 

डॉग

कुत्ता

3

buffalo

बफैलो

भैंस

4

Cat

कैट

बिल्ली

5

Ox 

ओक्स

बैल

6

Hen

हेन

मुर्गी

7

Bull 

बुल

सांड

8

Camel 

कैमल

ऊंट

9

Cock 

कॉक

मुर्गा

10

Donkey

डंकी

गधा

11

Elephant

एलीफैंट

हाथी

12

Goat

गोट

बकरी

13

Horse 

हॉर्स

घोड़ा

14

Llama 

लामा

लामा

15

Mare 

मेयर

घोड़ी

16

Monkey 

मंकी

बन्दर

17

Mule 

म्युल

खच्चर

18

Pig 

पिग

सूअर

19

Rabbit 

रैबिट

खरगोश

20

Pigeon 

पिजन

कबूतर

Top Domestic Pets Animals Name प्रमुख पालतू जानवरों के नाम

Domestic Pets Animals Name in Hindi and English
Domestic Pets Animals

1)-Cow (गाय):-

गाय एक पालतू जंतु ( Domestic Pets Animal ) है जो मानव समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और उपयोगी है। इसे आमतौर पर कृषि और डेयरी उद्योगों में दूध, मांस, और चमड़ा प्राप्त करने के लिए पाला जाता है। गाय का वैज्ञानिक नाम Bos taurus है, और यह बोविडे परिवार का सदस्य है। गाय को “गौ माता” के रूप में भी पूजा जाता है, विशेष रूप से भारतीय संस्कृति में, जहां इसे पवित्र माना जाता है।

शारीरिक विशेषताएँ :-

गाय का शरीर बड़ा और मजबूत होता है, जिसकी ऊँचाई लगभग 120 से 150 सेंटीमीटर तक होती है। इसका वजन नस्ल के अनुसार 400 से 800 किलोग्राम तक हो सकता है। गाय की त्वचा पर बालों की मोटी परत होती है, जो इसे ठंड और गर्मी से बचाती है। इसके चार पैर मजबूत होते हैं, जो इसे खेतों में हल खींचने और अन्य कृषि कार्यों में सक्षम बनाते हैं। गाय की आँखें बड़ी और चमकदार होती हैं, जो इसे एक शांत और ममता भरा स्वरूप देती हैं। इसके कान लंबे और नुकीले होते हैं, और इसके सिर पर दो सींग होते हैं जो रक्षा के लिए उपयोग होते हैं।

आहार और आदतें :-

गाय एक शाकाहारी जंतु है और इसका मुख्य आहार घास, पत्ते, और अन्य वनस्पतियाँ होती हैं। यह दिनभर चरने का काम करती है, और एक दिन में कई किलो घास खा सकती है। गाय का पाचन तंत्र बहुत ही अनोखा होता है, जिसमें चार भाग होते हैं: रुमेन, रेटिकुलम, ओमासम, और अबोमासम। यह प्रक्रिया “रमिनेशन” के माध्यम से भोजन को धीरे-धीरे पचाने में सहायक होती है, जिससे गाय को पौष्टिक तत्वों का अधिकतम लाभ मिलता है।

गाय का महत्त्व :-

गाय का मानव जीवन में विशेष महत्त्व है। सबसे महत्वपूर्ण इसका दूध है, जो मानव आहार का एक प्रमुख स्रोत है। दूध से विभिन्न प्रकार के डेयरी उत्पाद जैसे मक्खन, घी, दही, और पनीर बनाए जाते हैं। इसके अलावा, गाय का गोबर और मूत्र भी कृषि के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। गोबर का उपयोग जैविक खाद और ईंधन के रूप में किया जाता है, जबकि गौमूत्र को कई आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है।

भारतीय संस्कृति में गाय का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। इसे धन, संपन्नता, और शांति का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन ग्रंथों में गाय को “कामधेनु” कहा गया है, जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली दिव्य गाय थी। कई त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों में गाय की पूजा की जाती है, और इसे दान करना पुण्य का कार्य माना जाता है।

गाय की नस्लें :-

गाय की अनेक नस्लें होती हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशिष्ट विशेषताएँ होती हैं। कुछ प्रमुख भारतीय नस्लें हैं:

  1. गिर: यह नस्ल गुजरात में पाई जाती है और इसे इसके उच्च दूध उत्पादन के लिए जाना जाता है।
  2. साहीवाल: यह पंजाब और हरियाणा की प्रमुख नस्ल है, जो अपने उत्तम दूध और मांस उत्पादन के लिए मशहूर है।
  3. रेड सिंधी: यह नस्ल सिंध (अब पाकिस्तान) से आती है और इसकी विशेषता इसका लाल रंग और उच्च दूध उत्पादन है।
निष्कर्ष :-

गाय एक बहुउपयोगी और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पालतू जंतु है। यह न केवल कृषि और डेयरी उद्योग के लिए आवश्यक है, बल्कि भारतीय समाज में इसका विशेष सांस्कृतिक स्थान भी है। इसकी देखभाल और संरक्षण करना हर व्यक्ति का दायित्व है, क्योंकि यह मानव जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी है।

2)-Dog ( कुत्ता ) :-

कुत्ता एक पालतू जानवर ( Domestic Pets Animal ) है, जिसे मनुष्य का सबसे अच्छा और वफादार मित्र माना जाता है। यह कैनिडा (Canidae) परिवार का सदस्य है, जिसमें भेड़िए, लोमड़ी, और सियार जैसे जानवर भी शामिल हैं। कुत्ते हजारों वर्षों से मानव समाज का हिस्सा रहे हैं और इनकी उत्पत्ति भेड़ियों से मानी जाती है।

शारीरिक विशेषताएँ :-

कुत्ते आकार, रंग, और बनावट में काफी विविध होते हैं, जो उनकी नस्लों पर निर्भर करता है। कुत्तों की 340 से अधिक मान्यता प्राप्त नस्लें हैं, जिनमें छोटे चिहुआहुआ से लेकर बड़े डेन जैसे नस्लें शामिल हैं। कुत्तों की औसत ऊंचाई 6 इंच से 42 इंच तक हो सकती है, और उनका वजन 1 किलोग्राम से 80 किलोग्राम तक हो सकता है।

स्वभाव और व्यवहार :-

कुत्तों का स्वभाव उनकी नस्ल और परवरिश पर निर्भर करता है। कुछ नस्लें बहुत ही स्नेही और सामाजिक होती हैं, जबकि कुछ अधिक सतर्क और संरक्षक प्रवृत्ति की होती हैं। कुत्ते आमतौर पर मिलनसार, वफादार, और इंसानों के साथ आसानी से जुड़ने वाले होते हैं। वे अपने मालिक की भावनाओं को समझने और उस पर प्रतिक्रिया करने में सक्षम होते हैं। यही कारण है कि कुत्तों को अक्सर सेवा जंतु, जैसे गाइड डॉग्स और थेरेपी डॉग्स के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।

आहार :-

कुत्ते सर्वाहारी होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का आहार ग्रहण कर सकते हैं। उनका आहार आमतौर पर मांस, अनाज, सब्जियां, और फल से बना होता है। कुत्तों को उच्च प्रोटीन युक्त भोजन की आवश्यकता होती है, और उन्हें समय-समय पर पानी की भी ज़रूरत होती है।

स्वास्थ्य और देखभाल :-

कुत्तों की देखभाल में उन्हें सही आहार देना, नियमित व्यायाम करवाना, और समय-समय पर पशु चिकित्सक से जांच करवाना शामिल है। कुत्तों को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें टीकाकरण की आवश्यकता होती है, जैसे रैबीज, डिस्टेंपर, और पेरवोवायरस। कुत्तों को स्वस्थ और खुश रखने के लिए उन्हें मानसिक और शारीरिक व्यायाम देना भी महत्वपूर्ण है।

कुत्तों का महत्व :-

कुत्तों का मनुष्य के जीवन में गहरा महत्व है। वे केवल पालतू जानवर ही नहीं, बल्कि कई मामलों में सुरक्षा, मार्गदर्शन और साथी के रूप में भी कार्य करते हैं। कुत्तों को सुरक्षा कार्यों, बचाव अभियानों, पुलिस कार्यों और यहां तक कि चिकित्सा सहायक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अलावा, कुत्ते भावनात्मक समर्थन भी प्रदान करते हैं। कुत्ते अपने मालिकों के साथ गहरा भावनात्मक संबंध विकसित करते हैं, जो तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं में राहत प्रदान कर सकता है।

निष्कर्ष :-

कुत्ता एक अद्वितीय प्राणी है, जिसने अपने वफादार, समझदार और स्नेही स्वभाव के कारण मानव समाज में विशेष स्थान प्राप्त किया है। कुत्ते न केवल एक पालतू जानवर होते हैं, बल्कि वे हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से भी बन जाते हैं। उनकी देखभाल और प्रेम से वे हमें अपार खुशी और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

3)-Cat ( बिल्ली ) :-

बिल्ली एक लोकप्रिय पालतू जानवर ( Domestic Pets Animal ) है, जिसे वैज्ञानिक नाम Felis catus से जाना जाता है। यह जंतु पूरे विश्व में अपने सहज स्वभाव, आकर्षक व्यक्तित्व और स्वच्छता के लिए मशहूर है। बिल्लियाँ आदिकाल से ही मानव सभ्यता का हिस्सा रही हैं, और आज भी वे अपने मालिकों के साथ एक गहरा संबंध बनाए रखती हैं।

शारीरिक विशेषताएँ :-

बिल्ली का शरीर छोटा, लचीला और चुस्त होता है, जिससे यह बड़ी कुशलता से शिकार कर सकती है। बिल्लियाँ विभिन्न रंगों और आकारों में पाई जाती हैं। इनकी आँखें बड़ी और गोल होती हैं, जो रात में भी बेहतर देखने में सक्षम होती हैं। उनकी दृष्टि इतनी तेज होती है कि वे कम रोशनी में भी देख सकती हैं। बिल्ली के कान त्रिकोणीय आकार के होते हैं, जो 180 डिग्री तक घुम सकते हैं, जिससे वे चारों ओर की आवाज़ों को सुन सकती हैं।

स्वभाव और व्यवहार :-

बिल्लियाँ स्वभाव से स्वतंत्र होती हैं। हालांकि वे सामाजिक जंतु हैं, लेकिन उन्हें अकेला रहना भी पसंद होता है। वे बहुत चपल होती हैं और शिकार की गतिविधियों में माहिर होती हैं। बिल्लियाँ अपने पंजों का उपयोग शिकार को पकड़ने और चढ़ने में करती हैं। इनके पंजे रिट्रैक्टेबल होते हैं, यानी जरूरत पड़ने पर ये अपने पंजों को भीतर खींच सकती हैं।

बिल्ली का स्वभाव आमतौर पर शांत और धैर्यशील होता है, लेकिन वे अपने क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील होती हैं। वे अपने मालिकों के साथ एक विशेष संबंध स्थापित करती हैं और उनके साथ समय बिताना पसंद करती हैं। बिल्लियाँ अक्सर अपनी मालकिन या मालिक से प्रेम और स्नेह की अपेक्षा करती हैं और उन्हें अपना परिवार मानती हैं।

खान-पान :-

बिल्लियाँ सर्वाहारी प्राणी हैं, लेकिन वे मुख्य रूप से मांसाहारी होती हैं। उनके प्राकृतिक आहार में छोटे पक्षी, चूहे, और अन्य छोटे स्तनधारी आते हैं। पालतू बिल्लियों को उनके मालिक द्वारा प्रदान किया गया खाना खाने की आदत होती है, जिसमें मांस, मछली, दूध, और अन्य पोषक तत्व शामिल होते हैं। बाजार में उपलब्ध कैट फूड में भी सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो उनकी सेहत के लिए जरूरी होते हैं।

स्वास्थ्य और स्वच्छता :-

बिल्लियाँ अपनी स्वच्छता के प्रति बहुत सजग होती हैं। वे अपने शरीर को साफ रखने के लिए नियमित रूप से अपने फर को चाटती हैं। उनके पास एक विशेष जीभ होती है जो उनके फर को साफ और व्यवस्थित रखने में मदद करती है। यह स्वाभाविक स्वच्छता उनकी स्वास्थ्य रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, पालतू बिल्लियों की देखभाल के लिए नियमित रूप से उन्हें डॉक्टर के पास ले जाना और उनकी वैक्सीनेशन कराना भी जरूरी होता है।

बिल्लियों का महत्व :-

बिल्लियाँ न केवल पालतू जंतु के रूप में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी रखती हैं। मिस्र की प्राचीन सभ्यता में बिल्लियों को देवी बसतेट के रूप में पूजा जाता था। आज भी बिल्लियाँ विभिन्न संस्कृतियों में सुख और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं।

संक्षेप में, बिल्लियाँ एक अद्वितीय पालतू जंतु हैं, जो अपनी आकर्षक विशेषताओं, स्वच्छता और मनमोहक व्यवहार के कारण पूरे विश्व में लोकप्रिय हैं। उनके साथ जीवन बिताना एक सुखद अनुभव हो सकता है, क्योंकि वे अपने मालिकों के लिए न केवल एक साथी होती हैं, बल्कि उनके जीवन में खुशी और आनंद भी लाती हैं।

4)-Hen ( मुर्गी ) :-

मुर्गी एक पालतू पक्षी ( Domestic Pets Animal )है जो हजारों वर्षों से मानव सभ्यता के साथ जुड़ा हुआ है। इसे वैज्ञानिक रूप से Gallus gallus domesticus कहा जाता है और यह जंगली रेड जंगली मुर्गा (Gallus gallus) से उत्पन्न हुआ है। मुर्गी का पालन दुनिया भर में अंडे और मांस के लिए किया जाता है, और यह सबसे सामान्य पालतू जानवरों में से एक है।

शारीरिक संरचना :-

मुर्गी का शरीर मध्यम आकार का होता है, और इसके पंख, पूंछ, और पैर पर पंख होते हैं। नर मुर्गे को मुर्गा कहा जाता है और यह मादा मुर्गी से आकार में बड़ा होता है। मुर्गियों का रंग, आकार और वजन विभिन्न नस्लों के आधार पर भिन्न हो सकता है। एक औसत मुर्गी का वजन 1.5 से 3 किलोग्राम तक हो सकता है। मुर्गियों के पैर मजबूत होते हैं जिनमें तीन आगे की ओर और एक पीछे की ओर पंजे होते हैं, जो उन्हें धरती पर आसानी से चलने और खुदाई करने में मदद करते हैं।

जीवन चक्र और प्रजनन :-

मुर्गी के जीवन चक्र में चार प्रमुख चरण होते हैं: अंडा, चूज़ा, किशोर और वयस्क। अंडे देने की प्रक्रिया को ओविपोजिशन कहा जाता है, और एक सामान्य मुर्गी एक दिन में एक अंडा देती है। अंडे से चूज़े निकलने में लगभग 21 दिन लगते हैं, और यह प्रक्रिया तापमान और नमी के अनुकूलन पर निर्भर करती है। चूज़े लगभग 6 महीने में वयस्कता तक पहुंच जाते हैं और तब वे अंडे देने की क्षमता प्राप्त करते हैं।

भोजन और आहार :-

मुर्गी सर्वाहारी होती है और यह बीज, अनाज, कीड़े-मकौड़े, और हरी सब्जियों का सेवन करती है। पालतू मुर्गियों को अक्सर अनाज, मक्का, सोया, और अन्य पोषक तत्वों से युक्त मिश्रण दिया जाता है ताकि उनके शरीर को आवश्यक प्रोटीन, विटामिन, और खनिज मिल सकें। पालतू मुर्गियां अपने प्राकृतिक आवास में कीड़े-मकौड़े और छोटी वनस्पतियों का शिकार करती हैं, जिससे उनके आहार में विविधता बनी रहती है।

महत्व और उपयोगिता :-

मुर्गी का अंडा और मांस मानव आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अंडे प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं और इन्हें विभिन्न प्रकार से पकाया और खाया जा सकता है। मुर्गी का मांस भी प्रोटीन से भरपूर होता है और इसे दुनिया भर में विभिन्न व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, मुर्गी पालन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय का एक महत्वपूर्ण साधन है।

देखभाल और पालन :-

मुर्गी पालन में साफ-सफाई, उचित आहार, और सुरक्षित वातावरण का ध्यान रखना आवश्यक है। मुर्गियों को पर्याप्त स्थान, स्वच्छ पानी, और उचित रोशनी की आवश्यकता होती है। उन्हें समय-समय पर टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच की आवश्यकता होती है ताकि वे बीमारियों से मुक्त रहें और अच्छा उत्पादन कर सकें।

मुर्गियों को पर्यावरणीय स्थितियों के प्रति संवेदनशीलता होती है, इसलिए उन्हें अत्यधिक ठंड या गर्मी से बचाना महत्वपूर्ण है। पिंजरों की नियमित सफाई और वेंटिलेशन का ध्यान रखने से मुर्गियों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष :-

मुर्गी एक बहुउपयोगी पालतू जानवर Domestic Pets Animals है, जो दुनिया भर में भोजन के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अंडे और मांस मानव आहार में आवश्यक प्रोटीन की आपूर्ति करते हैं। इसके अलावा, मुर्गी पालन किसानों और ग्रामीण आबादी के लिए आय का एक स्थायी स्रोत प्रदान करता है। उचित देखभाल और पोषण के साथ, मुर्गी पालन एक लाभदायक और पर्यावरण के अनुकूल व्यवसाय हो सकता है।

5)-Horse ( घोड़ा ):-

घोड़ा, जिसे वैज्ञानिक नाम Equus ferus caballus से जाना जाता है, एक पालतू ( Domestic Pets Animal )और सामाजिक जंतु है जिसे मनुष्य हजारों वर्षों से उपयोग कर रहे हैं। यह जानवर अपनी ताकत, गति, सहनशक्ति और बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध है। घोड़े ने मनुष्य के जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं, चाहे वह कृषि में मदद हो, परिवहन का साधन हो, या फिर युद्ध और खेलों में उपयोग हो।

शारीरिक संरचना :-

घोड़ा एक शक्तिशाली और मांसल शरीर वाला जानवर है। इसकी लंबाई 142 से 163 सेमी तक होती है, और इसका वजन 380 से 1000 किलोग्राम के बीच हो सकता है। घोड़े की शारीरिक संरचना उसे दौड़ने के लिए आदर्श बनाती है; इसकी लंबी टाँगें और मजबूत मांसपेशियाँ उसे तेज गति से दौड़ने में मदद करती हैं। इसके चार खुर होते हैं, जो बेहद मजबूत और कठिन होते हैं, जिससे यह आसानी से विभिन्न प्रकार की सतहों पर चल सकता है।

नस्लें और उपयोग :-

घोड़ों की कई नस्लें होती हैं, जो उनके आकार, रंग और उपयोग के आधार पर भिन्न होती हैं। कुछ घोड़ों को कृषि कार्यों के लिए पाला जाता है, जहाँ उनकी ताकत और धैर्य का उपयोग भारी बोझ उठाने और खेत जोतने के लिए किया जाता है। दूसरी ओर, कुछ घोड़े दौड़ने के लिए पाले जाते हैं, जिन्हें रेसिंग इंडस्ट्री में इस्तेमाल किया जाता है। घुड़सवारी भी एक लोकप्रिय खेल है, जिसमें घोड़े की गति और संतुलन का उपयोग किया जाता है।

घोड़ों को उनके आकार और क्षमता के आधार पर तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  1. लाइट हॉर्सेस: ये घोड़े हल्के और तेज होते हैं, और इन्हें दौड़ने और घुड़सवारी के लिए पाला जाता है। अरबी घोड़ा और थारोब्रेड जैसी नस्लें इस श्रेणी में आती हैं।
  2. हैवी हॉर्सेस: ये घोड़े बड़े और भारी होते हैं, और इन्हें कृषि और परिवहन के लिए पाला जाता है। शायर और क्लाइड्सडेल जैसी नस्लें इस श्रेणी में आती हैं।
  3. पोनीज: ये छोटे कद के घोड़े होते हैं, जिनकी ऊँचाई 147 सेमी से कम होती है। पोनी का उपयोग बच्चों की घुड़सवारी और हल्के कार्यों में किया जाता है।
घोड़े की सामाजिक प्रकृति :-

घोड़े सामाजिक जंतु होते हैं और अक्सर समूहों में रहते हैं। इन समूहों को “हरड” कहा जाता है, जिसमें एक मुख्य नर होता है जिसे “स्टैलियन” कहते हैं, और बाकी मादाएँ और उनके बच्चे होते हैं। घोड़े आपस में संवाद करने के लिए विभिन्न प्रकार की ध्वनियों, शारीरिक मुद्राओं और गंधों का उपयोग करते हैं।

आहार और स्वास्थ्य :-

घोड़े शाकाहारी होते हैं और मुख्य रूप से घास, ताजे हरे पत्ते और अनाज खाते हैं। इन्हें दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा भोजन देना चाहिए, क्योंकि इनका पाचन तंत्र लगातार काम करता रहता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से घोड़ों की नियमित देखभाल आवश्यक होती है, जिसमें उनके खुरों की सफाई, दाँतों की देखभाल, और नियमित टीकाकरण शामिल है।

इतिहास और मानव के साथ संबंध :-

घोड़े का मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह जानवर युद्धों में, व्यापार के लिए लंबी यात्राओं में, और कृषि में हमेशा से मनुष्य का साथी रहा है। घोड़े और मानव का संबंध एक गहरे विश्वास और सहयोग पर आधारित है, जो आज भी कई रूपों में देखा जा सकता है।

घोड़ा एक अद्वितीय जंतु है जो न केवल अपनी शारीरिक विशेषताओं के लिए, बल्कि अपनी वफादारी और समर्पण के लिए भी प्रसिद्ध है। इसकी पालतू प्रजातियों ने मानव जीवन में अनगिनत योगदान दिए हैं और यह आज भी विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक मूल्यवान है।


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